
नई दिल्ली- भारतीय अर्थव्यस्था इन दिनों संकट से गुजर रही है। कोरोना का सबसे ज्यादा सी इकोनॉमी पर ही पड़ा है। महंगाई आसमान छू रही है। भारत कि मौजूदा स्थिति पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चिंता जाहिर की है।
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही है। कोविड की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है। हम एक गरीब देश हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह की नौकरियों की जरूरत बढ़ी है, उसके लिए विकास अपर्याप्त रहा है। हमें लोगों के स्किल बढ़ाने और शिक्षा के क्षेत्र में और तेजी लानी होगी। अगले 10 वर्षों में जो युवा स्नातक होकर निकलेंगे, उनको स्किल बेस शिक्षा देनी होगी, तभी नौकरियां बढ़ सकेंगी।’
रघुराम राजन ने कहा कि, ‘हम आराम नहीं कर सकते हैं। हमें और करने की जरूरत है। अपने में कुछ और सुधार करने होंगे। मोदी सरकार उन्हीं को सही मानती है, जो उसकी वाहवाह करते हैं, बाकी सब गलत हैं। लोकतंत्र में संवाद बहुत जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने व्यापक सलाह के बिना कई फैसले लिए- जैसे डीमोनेटाइजेशन, तीन कृषि कानून आदि, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ी और विरोध हुआ। लोकतंत्र में यह तब काम करता है जब आप संवाद करते हैं। संवाद एक अंतहीन सिलसिला है, जो चलता रहना चाहिए।’
सांप्रदायिक घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि, ‘लोग चिंतित हैं। श्रीलंका में को हुआ हम अभी वहां नहीं पहुंचे हैं। लेकिन हम उससे कुछ ही दूरी पर हैं। कुछ राजनेताओं द्वारा इस आग को जिस तरह से ईंधन दिया जा रहा है, उसे देखते हुए हमें इस बारे में चिंता करना शुरू कर देना चाहिए। मैं वास्तव में ऐसे देश के साथ व्यापार करना नहीं चाहूंगा जो अपने अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार करता है? चीन ने उइगरों के साथ जो किया तो यूरोप और अमेरिका से चीन को बहुत अधिक झटका लगा। वहां उत्पादित होने वाले सामानों पर प्रतिबंध है। नागरिक समाज भी एक भूमिका निभाता है और एक सहिष्णु, सम्मानजनक लोकतंत्र की छवि होना महत्वपूर्ण है।’
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