April 27, 2024

भोपाल में गणेश चतुर्थी की तैयारियां ज़ोरों पर शुरू, बड़ी संख्या में बन रहीं मूर्तियां

भोपाल: कोरोना महामारी के 2 साल के बाद धूमधाम से फिर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) 31 अगस्त से शुरु होने जा रही है. गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं. इसके लिए गणेशजी की मूर्तियों की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कई जिलों में शहरी और ग्रामीण इलाकों में न केवल मिट्टी की बनी हुई गणेशजी की मूर्ति (Ganesh idols) बल्कि प्लास्टर आफ पेरिस से भी बनी हुई मूर्ति मिल रही है. भोपाल (Bhopal) में मिट्टी से मूर्तियां बनाने का काम चल रहा है. भोपाल में हर वर्ष गणेशजी की करीब 50 हजार मूर्तियों की बिक्री होती थी लेकिन इस बार महंगाई के चलते मूर्तियों पर भी महंगाई की मार दिखाई दे रही है.

बड़ी संख्या में बन रहीं मूर्तियां
भोपाल में गणेश की मूर्तियां लोगों को काफी पसंद आ रही हैं. मूर्ति बनाने वाले महेश प्रजापति ने बताया कि शिवजी, हनुमानजी बांसुरी वाले गजानन की मूर्तियां सीमित द्वारा बनाई गईं थीं. जिस तरीके से डिमांड आ रही है बड़ी मात्रा में बांसुरी वाले गजानन की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि इनकी कीमत 7,500 से लेकर 25,000 रुपये तक है. वहीं इस समय महंगाई का असर भी दिखाई दे रहा है क्योंकि मिट्टी कानपुर से लानी पड़ रही है. गणेश की मूर्ति बनाने में लगने वाला सामन भी मंहगा मिल रहा है. मंहगाई के साथ गणेश की प्रतिमा के दाम भी बढ़े हैं.

शुभ मानी जाती है मिट्टी की प्रतिमा
मूर्ति कलाकार ने बताया कि, कोरोना माहमारी के दो साल गणेश चतुर्थी को लेकर उत्साह दिखाई दे रहा है. ऐसे में लोगों ने अपने अपने घरों में जहां प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी की है तो वहीं पूजा पंडाल भी सजाने को लेकर उत्सव समितियां सक्रिय हो चुकी हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पूजा में मिट्टी की प्रतिमा ही शुभ मानी जाती है लेकिन रेट में सस्ता होने के कारण लोग पीओपी की मूर्ति खरीदकर घर ले आते हैं, यह ठीक नहीं है. पीओपी की प्रतिमा को जब हम पानी में विसर्जन करते हैं तब वह पानी में घुलती नहीं है, इससे पर्यावरण को खतरा है. यही कारण है कि कुछ जागरूक लोग अब मिट्टी की प्रतिमा को ही महत्व दे रहे हैं.

वहीं अभी भी पीओपी के प्रतिमाओं की भी भरमार बनी हुई है. पिछले दस साल से भोपाल के महेश प्रजापति मूर्तियां बना रहे हैं लेकिन वे अब तक सिर्फ मिट्टी की मूर्तियों को ही बनाते आ रहे हैं और लोगों को जागरूक भी करते हैं. उनका कहना है कि मिट्टी की प्रतिमा पूजन में शुभ मानी जाती है. भले ही इसमें लागत अधिक लगती है और समय व मेहनत ज्यादा लगता है लेकिन जो लोग वास्तव में पूजा पाठ की विधि को जानते और समझते हैं वे मिट्टी की ही प्रतिमाओं की स्थापना करना पसंद करते हैं.

About Author