April 27, 2024

बारिश का संकट नहीं हुआ खत्म, मुरैना के 50 गांव अब भी पानी में डूबे

भोपाल- भोपाल में शनिवार दोपहर रिमझिम बारिश का दौर चला। रविवार को रीवा, पन्ना और सतना समेत बुंदेलखंड और बघेलखंड के कई जिलों के जमकर भीगने के आसार हैं। उधर, चंबल की बाढ़ से भिंड-मुरैना की हालत खराब है। मुरैना के 200 से अधिक गांव प्रभावित हैं। 50 से अधिक गांव पूरी तरह डूब गए हैं, जहां फंसे 10 हजार से अधिक लोगों को हेलीकॉप्टर और मोटर बोट की मदद से रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। पिलरों में दरार आने के बाद खरगोन में मोरटक्का पुल पर अभी आवागमन बंद है। श्री गोविन्दराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर (एसजीएसआईटीएस‎) की टीम ने पिलरों में आई दरारों का निरीक्षण‎ किया है, जिसकी रिपोर्ट आज सबमिट हो सकती है।

क्रेन से दरार तक पहुंचे जांच दल ने लिए सैंपल
खरगोन के बड़वाह में बंद मोरटक्का पुल से आवागमन शुरू करने को लेकर अभी संशय है। गुरुवार को एनएचएआई के जांच दल के निरीक्षण के बाद शुक्रवार को एक बार फिर एसजीएसआईटीएस की टीम मोरटक्का पुल पर पहुंची। पुल मार्ग का निरीक्षण करने के बाद अधिकारी पुल के नीचे पहुंचे। क्रेन को पुल पर ही खड़ा कर अधिकारी उसमें बैठकर दरारों के पास पहुंचे। यहां छेनी-हथौड़े से तोड़कर दरारों का सैंपल लिया। दरार में लोहे की रॉड डालकर उसकी गहराई का भी आकलन किया। करीब 4.30 घंटे तक निरीक्षण के बाद जांच दल सैंपल लेकर इंदौर रवाना हो गया। तकनीकी जांच के बाद दल शनिवार‎ तक रिपोर्ट सबमिट कर सकता है। रिपोर्ट के बाद ही पुल को खोलने का निर्णय लिया जाएगा।‎

अब सिंध नदी में भी बाढ़ का खतरा
भिंड में उदी घाट पर चंबल का जलस्तर 129.91 मीटर पर पहुंचने से चंबल किनारे के गांवों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। चंबल का पानी उत्तर प्रदेश के पचनदा में पहुंचने के बाद पहूज नदी के माध्यम से सिंध में लौटने लगा है। इससे सिंध किनारे के गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। भिंड के अटेर में निचली बस्तियों में चंबल नदी का पानी दाखिल हो गया। अटेर में निर्माणाधीन चंबल पुल के पिलर पानी में डूब गए हैं।

तीन बांध बनें तो रुकेगी बाढ़ से तबाही, सिंचाई के लिए मिलेगा पर्याप्त पानी
चंबल की बाढ़ को रोकने के लिए रहू घाट पर 4000 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) क्षमता का बांध बनाया जाना जरूरी है। इसके साथ ही पार्वती व काली सिंध पर भी 1250-1250 एमसीएम के दो बांध बनाने होंगे। इन तीन बांधों में 6500 मिलियन क्यूबिक पानी रोककर बारिश के माैसम में बाढ़ से हाे रही तबाही पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके लिए सरकार को 4200 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।

चंबल की बाढ़ का बड़ा कारण कोटा बैराज से छोड़ा जाने वाला पानी होता है। इसके अलावा पार्वती और काली सिंध नदी का पानी भी चंबल के जलस्तर को बढ़ाता है। चंबल की बाढ़ को रोकने के लिए सबलगढ़ के रहू घाट पर 4000 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का बांध बनाकर कोटा बैराज के पानी को बांध में स्टोर किया जा सकेगा। यह पानी सिंचाई के लिए भी उपयोग हो सकेगा।

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