मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा उपचुनाव की चुनाव तारीखों की घोषणा आज नहीं की गई। चुनाव आयोग ने कहा है कि 29 सितंबर को होने वाली बैठक में मध्यप्रदेश उपचुनाव की तारीखों पर फैसला किया जाएगा। एमपी में चुनाव न होने और छह माह से 22 विधानसभा सीट ख़ाली होने पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। वहीं तारीख़ की घोषणा न होने से बीजेपी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। इस बेचैनी का एक कारण कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए 14 मंत्रियों सहित 22 पूर्व एमएलए पर चल रहा अयोग्यता का मामला भी है। सुप्रीम कोर्ट ने विधान सभा के प्रोटेम स्पीकर से एक हफ़्ते में जवाब मांगा है कि वे कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का फैसला कब करेंगे।
बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने कहा कि कुछ राज्यों के निर्वाचन पदाधिकारी से चुनाव की तारीख़ों पर विमर्श किया जाना है। इसके लिए 29 सितंबर को बैठक रखी गई है। इस बैठक में 1 लोकसभा और 64 असेंबली सीट के चुनाव की समीक्षा होगी। इसके बाद उसी दिन चुनाव मध्य प्रदेश की 27 सीटों पर उपचुनाव की तारीख़ का एलान होगा।
मध्यप्रदेश में एक असंवैधानिक सरकार: देवाशीष
चुनाव तारीख़ों की घोषणा नहीं होने के बाद कांग्रेस नेता देवाशीष जरारिया ने ट्वीट किया है कि आज चुनाव आयोग ने बिहार चुनावों का ऐलान कर दिया लेकिन मध्यप्रदेश में उपचुनावों का नही। मध्यप्रदेश में एक असंवैधानिक सरकार काम कर रही है। गैर विधायक मंत्री बने बैठे है, 6 महीने से ज्यादा समय से 27सीटे खाली पड़ी है। मप्र में लोकतंत्र की बहाली कब होगी?
विधानसभा अध्यक्ष को देना है जवाब, अयोग्यता पर कब लेंगे फैसला
एमपी की बीजेपी सरकार में शामिल कांग्रेस छोड़ कर आए 14 मंत्रियों सहित 22 विधायकों पर अयोग्य घोषित होने की तलवार लटकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को सुनवाई के बाद विधान सभा सचिवालय से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। सचिवालय को एक सप्ताह में यह बताना है कि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का फैसला कब करेंगे।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस वी रामासुब्रमनयम की बेंच ने इस मामले पर दायर याचिका की सुनवाई में यह निर्देश दिया है। यह याचिका जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के बागी 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर विचार न करने के मामले में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सहित अन्य को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने 21 सितंबर तक जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
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