हाई कोर्ट की युगल पीठ ने राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों के नाम की संपत्तियों के मामले में मंगलवार को सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केंद्र शासन को इस मामले में पार्टी बनाया जाए। क्योंकि आजादी के वक्त केंद्र शासन के साथ एक कोविनेंट साइन हुआ था, उसमें राजाओं ने अपने पास जो संपत्तियां रखी थीं, उन संपत्तियों का उल्लेख कोविनेंट था।
सिंधिया रियासत के साथ भी एक कोविनेंट साइन हुआ था। प्रशासन ने सिंधिया के ट्रस्ट के नाम जो संपत्तियां की है, उनका उल्लेख कोविनेंट है या नहीं इसका ब्योरा मंगवाने का आवेदन पत्र में प्रार्थना की गई है। साथ ही पिछली कांग्रेस सरकार के समय नामांतरण करने वाले एसडीएम अनिल बनवारिया को भी इसमे में पार्टी बनाया जाए। क्योंकि उन्होंने महलगांव व ललितपुर हलके के सर्वे नंबरों का नामांतरण किया था। अनिल बनवारिया से भी जवाब मांगा जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन को रिकॉर्ड पर ले लिया।
शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने याचिकाकर्ता के आवेदन का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय ले लिया। हाई कोर्ट में ऋषभ भदौरिया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों के नाम की गई संपत्तियो की जांच के लिए जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने संपत्तियों को शासकीय बताते हुए जांच की मांग की है।
संपत्तियों का नामांतरण निरस्त करने की मांग की है। करीब एक दर्जन सर्वे नंबरों को सिंधिया के ट्रस्टों के नाम किया गया है। सिंधिया के ट्रस्टों के नाम जो संपत्तियां की गई हैं, वह ग्वालियर सिटी सेंटर, महलगांव क्षेत्र में स्थित है।
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