April 27, 2024

च्यवनप्राश की बिक्री में करीब 130% की बढ़ोतरी, काढ़ा, साबुन और शहद की बिक्री भी 60% तक बढ़ी

एक साल में भारतीयों ने इम्युनिटी बूस्टर दवाओं पर खर्च किए 15 हजार करोड़; जानिए ये होती क्या है और आप किस तरह अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं

नीम हकीम से हार्वड यूनिवर्सिटी तक पूरी दुनिया कोरोना काल में इम्यूनिटी कैसे बूस्ट होगी, इस बहस में उलझ गई है, लेकिन इसके चलते इम्यूनिटी बूस्टर दवाओं का मार्केट काफी रंगीन हो गया है. और शायद आकड़े जानने केे बाद आप खुद सोच में पड़ जायेगें कि, ये मामूली से काढ़े और मल्टीवीटिमिन, ने अरबों का मार्कट किया है.  आसान शब्दों में बताएं तो, पिछले एक साल में भारतीयों ने मल्टीविटामिन और इम्यूनिटी बूस्टर पर 15 हजार करोड़ खर्च किए है. वहीं 2021 में दुनिया में करीब 20 अरब डॉलर का इम्यूनिटी बूस्टर ड्रग्स का मार्केट है, जो 2028 तक 31 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया जा रहा है. कोरोना काल में इम्युनिटी शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हुआ है। इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता। हमारे शरीर की वो शक्ति जो हमें किसी भी वायरस से लड़ने की ताकत देती है। कोरोना के इस दौर में लोगों ने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के जतन किए।

कोई रोजाना कसरत करने लगा तो किसी ने सुबह शाम काढ़ा पीना शुरू कर दिया। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्टे्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) की रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीयों ने पिछले एक साल में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सप्लीमेंट्स और इम्युनिटी बूस्टर्स पर करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। ये साल 2019 के मुकाबले लगभग 5 गुना ज्यादा है। 

इम्युनिटी बूस्टर्स क्या होते हैं? इनके क्या फायदे और नुकसान हैं? कोरोना ने किस तरह इनकी बिक्री को बढ़ाया है? आइये समझते हैं…

इम्युनिटी बूस्टर्स क्या होते हैं?

इम्युनिटी बूस्टर यानी वो दवाएं जो कथित तौर पर आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने का दावा करती हैं। इनमें मल्टीविटामिन, मिनरल्स, एमीनो एसिड और इसी तरह के बाकी पोषक तत्व आते हैं। ये दवाएं आपको टैबलेट, कैप्सूल, लिक्विड या पाउडर फॉर्म में दी जाती हैं। इन दवाओं के जरिए आपको विटामिन, मिनरल्स, जिंक और बाकी पोषक तत्व दिए जाते हैं।

कोरोना ने इन सप्लीमेंट्स की बिक्री को किस तरह बढ़ाया?

कोरोना ने पूरी दुनिया में स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रायोरिटी वाले मुद्दे में शामिल कर दिया है। लोग पर्सनल हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देने लगे। कोरोना के फैलने का सीधा-सीधा संबंध शरीर के इम्युन सिस्टम से है। इम्युन सिस्टम जितना कमजोर होगा वायरस के फैलने का खतरा उतना ज्यादा होगा। लिहाजा लोगों ने इम्युन सिस्टम को मजबूत करने के लिए जमकर इन ड्रग्स की खरीदारी की। लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता और डर दोनों बढ़ा है। इससे भी इन सप्लीमेंट्स की मांग बढ़ी है।

कोरोना में कितना बढ़ा इम्युनिटी बूस्टर्स का कारोबार

ब्रांड           ड्रग           कंपनी         मई 2021 तक बिक्री     मई 2020 तक बिक्री

फेबिफ्लू        फेविपिरोविर     ग्लेनमार्क फार्मा  975                                         #

जिंकोविट       मल्टीविटामिन   अपेक्स लैब्स    585                                         230

बिकॉसुल्स      बी काम्प्लेक्स+  फाइजर         433                                         337

                                विटामिन C

सिप्रेमी         रेमेडेसिविर      सिप्ला         309                                         #

शेल्कल        कैल्शियम      टोरंट फार्मा     279                                         223

एजिथ्रल        एजिथ्रोमाइसिन   एलेंबिक        259                                         170

रिवाइटल H           मल्टीविटामिन   सन फार्मा      200                                         132

लिमसी        विटामिन C            एबोट हेल्थकेयर  192                                         48

अपराइज D3          विटामिन D           एल्केम लैब्स    132                                         72

*राशि करोड़ रुपये में

कोरोना ने बढ़ाई फार्मा कंपनियों की कमाई

जून 2020 में ग्लेनमार्क फार्मा ने एंटीवायरल ड्रग फेविपिराविर लॉन्च की थी। कंपनी ने केवल इस एक दवाई से पिछले एक साल में 975 करोड़ रुपए कमाए हैं। कुल 1220 करोड़ रुपए की इस दवा की बिक्री हुई है।

पिछले एक साल में रेमेडिसिविर की 833 करोड़ रुपए की बिक्री हुई है। इस दवा से सिपला ने 309 करोड़ और कैडिला ने 215 करोड़ रुपए कमाए हैं। 

एंटीबायोटिक ड्रग एजिथ्रोमाइसिन की 992 करोड़ रुपए की बिक्री हुई। पिछले एक साल में इस दवा की बिक्री में 38% का इजाफा हुआ है।

हेल्थ सप्लीमेंट रिवाइटल और प्रोटिनेक्स की बिक्री में भी 52 और 64% की बढ़ोतरी हुई है। 

फार्मा कंपनियों ने जो दवाएं सीधे हॉस्पिटल्स को बेची हैं उसे इस रिपोर्ट में नहीं जोड़ा गया है। वो जोड़ने के बाद ये आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है।

इम्युनिटी बढ़ाने वाले फूड प्रोडक्ट का इस्तेमाल भी बढ़ा

इनोवा मार्केट की एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना के बाद से दुनियाभर के 45% लोग इम्युनिटी बढ़ाने वाले फूड प्रोडक्ट का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं।

अमेरिकन फूड प्रोसेसिंग कंपनी ADM के मुताबिक, 50% लोग ऐसे फूड प्रोडक्ट खरीदना पसंद कर रहे हैं जो प्राकृतिक तौर पर इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर है।

कितना बड़ा है इम्युनिटी बूस्टर ड्रग्स का मार्केट?

फार्च्यून मैग्जीन के मुताबिक, 2020 में ग्लोबल इम्यून हेल्थ सप्लीमेंट मार्केट 20.18 अरब डॉलर का था। 2028 तक इसके 31.50 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इस दौरान ये मार्केट सालाना 6.6% की दर से बढ़ सकता है। इन ड्रग्स के लिए सबसे बड़ा मार्केट नॉर्थ अमेरिका है। दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली कुल इम्युनिटी बूस्टर ड्रग्स का 36% कंज्म्प्शन केवल नोर्थ अमेरिका में ही होता है।

कोरोना के डर ने और किन प्रोडक्ट की बिक्री को बढ़ाया?

आयुष मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़े का इस्तेमाल करने का कहा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में शहरी क्षेत्र के करीब 90% लोगों ने काढ़े का इस्तेमाल किया है। इससे बाजार में रेडीमेड उपलब्ध काढ़े की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। आयुर्वेदिक उत्पाद बना रही हिमालय और डाबर जैसी कई कंपनियों ने इस दौरान शहद, अश्वगंधा, गिलोय, च्यवनप्राश की बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की है। 2019 में जहां च्यवनप्राश की बिक्री में 5% की गिरावट आ गई थी, वहीं 2020 में 132% का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही अप्रैल महीने में शहद, ग्रीन टी, नीम और तुलसी से बने पेय पदार्थ, साबुन की बिक्री में भी 60 से लेकर 157% तक का इजाफा हुआ है।

डाइटीशियन डॉक्टर विनीता जायसवाल से समझते हैं, इन सप्लीमेंट्स के नुकसान क्या-क्या है और कैसे आप अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं

आप किस तरह अपना इम्यून सिस्टम मजबूत कर सकते हैं

डाइट में अनाज, दाल, मौसमी फल, सब्जी, दूध से बने पदार्थ और सूखे मेवे को शामिल करें।

नियमित कसरत करें।

अपना बॉडी मास इंडेक्स नियंत्रित रखें।

पर्याप्त नींद लें।

ज्यादा स्ट्रेस न लें।

सिगरेट न पीएं।

इन सप्लीमेंट्स के क्या नुकसान है?

लोगों ने कोरोना के डर से हर तरह के इम्युनिटी बूस्टर दवाओं का इस्तेमाल किया है। इनमें मल्टीविटामिन, आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे भी शामिल हैं। इससे शरीर में इन दवाओं का ओवरडोज हो गया।

ज्यादातर मल्टीविटामिन वाटर सॉल्यूबल होते हैं उनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता लेकिन जो वाटर सॉल्यूबल नहीं होते वो शरीर में टॉक्सीसिटी बढ़ाते हैं।

शरीर की बनावट और शारीरिक गतिविधियों के हिसाब से सबकी इम्युनिटी और डाइट अलग-अलग होती है। अगर आप खुद से ही इम्युनिटी बूस्टर दवाएं लेंगे तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं।

कैसे इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है?

इम्युनिटी बैलेंस रखने का सबसे बढ़िया तरीका खुद के खानपान पर ध्यान देना है। न ज्यादा खाएं न कम खाएं। घी-तेल का कम प्रयोग करें। खाने में मीठी चीजों का इस्तेमाल कम से कम करें। सूखे मेवे, मौसमी फल सब्जी और लिक्विड डाइट को बढ़ावा दें।

इससे आपके शरीर की इम्युनिटी नेचुरल तरीके से ही बनी रहेगी और आपको इन सप्लीमेंट्स को लेने की जरूरत नहीं होगी। यहां पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि शरीर की इम्युनिटी एक-दो दिन में नहीं सुधर सकती। इसका सीधा-सीधा संबंध आपकी डाइट और लाइफस्टाइल से है। किसी परिचित या दोस्त की सलाह पर या गूगल सर्च कर कोई भी सप्लीमेंट लेना शुरू न करें। डाइटीशियन से सलाह लें उसके आधार पर ही इन सप्लीमेंट्स को लेना शुरू करें।

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