April 29, 2024

पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:कोर्ट ने कहा- सभी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें

पेगासस जासूसी मामले से जुड़ी 9 अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई है। ये अर्जियां पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से दायर की गई हैं। पिटीशनर्स की मांग है कि पेगासस मामले की SIT जांच करवाई जाए। इस केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सहीं हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही पिटीशनर्स से कहा कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें। इस केस की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जासूसी की रिपोर्ट्स 2019 में सामने आई थीं, लेकिन यह नहीं पता कि इसके बारे में किसी ने ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश की या नहीं। साथ ही एक पिटीशनर से कहा कि मैं हर केस के तथ्यों को नहीं देख रहा, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि उनके फोन इंटरसेप्ट किए गए। तो ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ एक्ट है।

पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि पेगासस एक खराब तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना हमारी जिंदगी में दाखिल हो जाती है। यह हमारी निजता, गरिमा और हमारे गणतंत्र के मूल्यों पर हमला है। सिब्बल ने कहा है कि स्पाइवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है।

एक शिक्षाविद की तरफ से पेश वकील श्याम दीवान का कहना था कि इस मामले की अहमियत बहुत ज्यादा है, इसलिए स्वतंत्र जांच करवाई जाए। इस केस में सबसे उच्च स्तर के ब्यूरोक्रेट के जरिए जवाब दिया जाना चाहिए। इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी को नियुक्त करने पर प्राथमिकता से विचार होना चाहिए। वहीं कुछ पत्रकारों की तरफ से पेश वकील अरविंद दत्तर ने कहा कि लोगों की निजता सबसे बड़ी होती है और प्राइवेसी का ख्याल रखा जाना चाहिए।

सरकार बताए- क्या पेगासस का इस्तेमाल किया?

पिटीशनर्स ने अपील की है कि पेगासस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित SIT से करवाई जाए। केंद्र को ये बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? क्या पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया गया?

पिटीशनर्स ने ये भी कहा है कि मिलिट्री ग्रेड के स्पाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।

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