सीहोर अस्पताल में कुपोषण वार्ड हुआ फुल
महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं
सीहोर – सीहोर जिले में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा है। जिसके कारण बच्चे कुपोषण का दंश झेलने को मजबूर हो गए हैं। लगातार कुपोषित बच्चे मिलने का क्रम जारी है। इसके बाद भी शासकीय अमला कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है। जिला अस्पताल में बने 20 बेड के कुपोषण वार्ड में कुपोषित बच्चों का आना इस बात के साफ संकेत दे रहा है कि जमीनी स्तर पर बच्चों को पोषण आहार गुणवत्ता पूर्ण नहीं मिल पा रहा है।
बताया गया है कि पहले जिले में बाल संजीवनी अभियान संचालित किया जाता था। जिसके तहत बच्चों के वजन लिए जाते थे और इस अभियान में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा सार्वजनिक हो जाता था, लेकिन आंकड़ा की बाजीगरी करने के लिए बाल संजीवनी अभियान को बंद कर दिया गया। जिसके कारण कितने बच्चे कुपोषित है इसकी जानकारी महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में कैद होकर रह जाती है।
आहार में कटौती क्यों?
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार सीहोर जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पहले जहां दूध बे्रड सहित मिल्क पाउडर विटामिन से भरपूर मिक्चर आदि दिए जाते थे, लेकिन अब बेस्वाद का दलिया, दाल कम और पानी ज्यादा वाली दाल, अधजली रोटियां दी जा रही हैं और कभी कबार पुड़ी और खीर महिने में एक बार दी जाती है। यह भी एक कारण है कि कुपोषण अब सीहोर जिले में तेजी से पैर पसार रहा है। आंगनबाड़ी ही नहीं स्कूलों में भी जो माध्यान्ह भोजन बच्चों को दिया जा रहा है उसकी पौष्टिकता को लेकर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अन्य कार्यों को महत्व
महिला बाल विकास के जिला परियोजना अधिकारी प्रफुल खत्री का कहना है कि जिला अस्पताल में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बिस्तर का वार्ड है। हमारे पास कुपोषण को दूर करने के लिए और भर्ती बच्चों के उपचार के लिए विभागीय तौर पर कोई बजट नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की बच्चों का इलाज करता है।
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