मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच जमकर वार-पलटवार हो रहे हैं। जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं वो है किसानों की कर्ज़माफी का। हालांकि शिवराज सरकार ने जब से विधानसभा में यह माना कि कांग्रेस की सरकार ने वाकई किसानों के कर्जे माफ किए थे, बीजेपी इस मसले पर बैकफुट पर है। फिर भी शिवराज चौहान जनता के बीच डैमेज कंट्रोल की कोशिश के तहत अपने भाषणों में कमलनाथ पर बार-बार आरोप लगाते हैं। लेकिन कमलनाथ का जवाब आने पर पासा उलटा पड़ जाता है। दोनों नेताओं की हाल की सभाओं में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।
कमलनाथ ने फसल बीमा का प्रीमियम नहीं भरा: शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिप्रा मंडल के कार्यकर्ता सम्मेलन में आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने किसानों की फसल बीमा का प्रीमियम जमा नहीं किया था, जिसे मैंने मुख्यमंत्री बनते ही जमा किया। शिवराज ने विधानसभा में अपनी ही सरकार के लिखित जवाब में कही गई बात को एक बार फिर से झुठलाते हुए आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा पूरा नहीं किया। आगर मालवा के कानड़ के कार्यकर्ता सम्मेलन में भी शिवराज ने यही बातें कहीं।
50 हजार की कर्जमाफी के वादे से भी मुकर चुकी है बीजेपी: कमलनाथ
शिवराज के इन हमलों पर कमलनाथ ने अपनी चुनावी सभाओं में तीखा पलटवार किया। मंदसौर, आगर और हाटपिपलिया की सभाओं में कमलनाथ ने कहा कि हमारी सरकार ने तो खाली खजाने से भी 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया और शिवराज सरकार ने खुद खुद विधानसभा में लिखकर इस बात को माना है। यह भी साफ है कि हमारी सरकार खरीद-फरोख्त करके गिराई न जाती, तो जो किसान बचे थे उनका कर्ज भी माफ हो जाता। लेकिन बीजेपी ने तो अपने 2008 के घोषणापत्र में किए वादे भी पूरे नहीं किए। उस वक्त बीजेपी ने किसानों के 50 हजार तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता मिलते ही उससे मुकर गए। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज कितना झूठ बोलते हैं और कैसे दूसरों का यश अपने खाते में लेते हैं, उसका नमूना उनकी सभाओं में देखने को मिल रहा है।
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