मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकार की नाक के नीचे धड़ल्ले से हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त किए जाने का मामला सामने आया है। हैरान करने वाली बात यह है कि हथियारों की यह खरीद फरोख्त सरकारी अधिकारियों की शह पर हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी रिकॉर्ड पर राजधानी में हथियार मुहैया कराने वाली दस दुकानों के लाइसेंस की अवधि तीन साल पहले ही समाप्त हो चुकी है। लेकिन ज़िला प्रशासन की नाक के नीचे इन दुकानों में हथियारों की खरीद फरोख्त बिना किसी रुकावट के बदस्तूर जारी है।
अवैध हथियारों का धंधा कलेक्टर ऑफिस की शस्त्र शाखा की जानकारी में होने के बावजूद हो रहा है। दरअसल नियमानुसार सरकार द्वारा छापी गई लाइसेंस बुक पर ही आर्म्स डीलर्स को हथियारों की खरीद फरोख्त की मंजूरी दी जा सकती है। लेकिन इस बुक को अब तक अपडेट नहीं किया गया है। और इसी का फायदा उठाते हुए राजधानी के आर्म्स डीलर शस्त्र शाखा के अफसरों की मिलीभगत से अपना धंधा चला रहे हैं। लंबे समय से आर्म्स बुक पर कलेक्टरों के हस्ताक्षर करवा कर दुकानें चल रही हैं।
दस दुकानें बिना लाइसेंस के चल रही हैं
राजधानी में कुल दस दुकानें ऐसी हैं जो शस्त्र शाखा के अफसरों की शह पर चल रही हैं। इंदौर बन्दूक घर, शाह आर्मरी, भारत गन हाउस, झांसी गन हाउस, एमपी गन हाउस, स्वस्तिक गन हाउस, राजधानी गन हाउस, अकबर आर्मरी, कैपिटल गन हाउस और भोपाल गन हाउस ऐसी दुकानें हैं जो इस समय बिना लाइसेंस के चल रही हैं। इतना ही नहीं राजधानी में जिन दुकानों को अवैध पाए जाने पर बंद किया जा चुका है, वहां भी हथियारों का धंधा जारी है।
काग़ज़ पर दुकानें बंद हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और है। शस्त्र शाखा के जिन दो अफसरों पर हथियारों के गोरख धंधे को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है, उनके नाम हरीश शीतलानी और विनोद गौड़ हैं। यह दोनों अफसर दशकों से शस्त्र शाखा में जमे हुए हैं। जिस कारण राजधानी के आर्म्स डीलरों के बीच इनकी न सिर्फ अच्छी पैठ है बल्कि डीलरों के साथ इनके व्यक्तिगत संबंध भी हैं। जिसके चलते ये सब मिलकर सारा गोरखधंधा चलाते रहे।
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